Friday, 15 July 2016

तेरी आहट


 
तेरे पैरों की आहट से 
धड़कनें दिल की बढ़ गईं ऐसे 
साँसे भी तेज़ अब होने लगीं थीं 
पतझड़ मे चले हवायें जैसे। 
 
तुझे पाके करीब मेरे इतना 
हवायें भी ठंडी चलने लगीं थीं ,
वक़्त जैसे रुक सा गया था 
मोहोब्बत परवान चढ़ने लगी थी। 
 
मेहसूस किया जब साँसों को तेरी 
मैं आँखें बंद करने लगी थी 
कोई इतना करीब भी आ जायेगा मेरे 
इस बात से वाकिफ़ में होने लगी थी। 
 
ये दूरियाँ कब नज़दीकियों में बदल गयी 
मैं आगोश में तेरे सिमट ने लगी थी 
स्पर्श जो तेरा हासिल हुआ तो 
बेहोशी के आलम मे मैं खोने लगी थी। 
 
देखा जो तूने आँखों में मेरी 
ये नम सी कुछ होने लगी थी 
होठों से इनको छुआ जो तूने 
ख़ुशी के मारे ये बेहेने लगी थी। 
 
शायद प्यार यही होता है 
खुद को मैं समझाने लगी थी 
तूने बिन बोले इज़हार कर दिया 
मैं भी तेरी अब होने लगी थी। 
 
तू साथ देने का वादा जो करदे 
मैं सारी कसमें पूरी करुँगी 
मुझपे अब तेरा ही हक़ है 
तेरी थी , तेरी ही रहूँगी। 
 



No comments:

Post a Comment