Tuesday, 5 July 2016

मेरी पेहचान !




बारिश की ये बूँदें जब इन शीशों से टकराती हैं 
किसी तूफाँ के आने की यह दस्तक दिये जातीं हैं 
बिजली जब कड़कती है 
मैं आँखों को  झुकाती नहीं 
ये भी जान जातीं है 
इन जैसी हूँ मैं पराई नहीं 
मेरे भी आँसू बहते हैं 
गुस्से की बिजली कड़कती है 
पर दिल टूटे तो आहट भी न हो,
बस यही एक चीज मुझे तुझसे बेहतर बनाती है !

                                   Sassy Nancee 


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