Friday, 8 July 2016

छोटी छोटी बातें

 रिश्तों की कहानिया मैंने कई बार पढ़ी हैं सुनी हैं 
रिश्तों के नाज़ुक डोर  को टूटते बिखरते भी देखा है  
इनकी गहराईयों को भी समझा है 
कई  रिश्तोंकी गहराईयों में खुद को डूबते भी देखा  है 
बनते बिगड़ते ,रूठते मनाते ,हस्ते रोते ,
कभी अपनों को दूर जाते भी देखा है 
गुस्से की मार , प्यार की तकरार ,
शक का शिकार ,प्रेम का इज़हार ,
हर जगह हर भमिका में खुद को कभी न कभी पाया है 
जब ज़िन्दगी ने इतना कुछ सिखाया  है 
फिर क्यों इन रिश्तों को हमने यूँ ठुकराया है 
 फिर क्यों हम अपनों का दिल दुखाते हैं 
सच्चाई जान कर भी कई बार छुपाते हैं 
प्यार से जीत कर  देखो हर रिश्ता  
बदले में बेशुमार मिलेगा 
प्यार ही तो हमें जोड़ता है 
हर रिश्ता तुमसे तुम्हारी पहचान करायेगा । 

                                                SASSY NANCEE 

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