उलझी रही मैं दुनिया के इन सवालों में
जैसे धुआँ उलझे मेरे बिखरे बिखरे बालों मैं
मानूँगी ना हार चाहे गिर जाऊँ चट्टानों से
गर उलझी हूँ मैं आज कल लड़ जाऊँगी ज़माने से
तू होसला न दे मुझे , इसकी तुझको ज़्यादा ज़रुरत है
मेरे पास खुदा है यारा जिसका नाम मोहोब्बत है।
SASSY NANCEE
No comments:
Post a Comment