कहानियाँ और किस्से जो आ गए मेरे हिस्से,
इन्हें यादों की डोरियों से बाँध रखा है
कभी फुर्सत मिले तो आना मिलने ,
बडे प्यार से संभाले रखा है।
इस जादू के पिटारे को हम फिर से खोल लेंगे
तुम बडे गौर से सुन्ना ,वो दिन फिर याद आ जाएँगे।
हर डोरी से बन्धे हैं हम
इन बातों को गर समझो तुम ,
कहानियों मे ना सही ,
शायद हक़ीक़त मे ही मिल जाएँ हम।
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